कॉपी राइट एड्मिनिसट्रेशन `
यह सेंट्रल गवर्नमेंट के द्वारा संचालित होता है।
इसके एड्मिनिसट्रेशन मे एक कॉपी राइट ऑफिस ,और कॉपी राइट बोर्ड और कॉपी राइट सोसाइटी होती है। कॉपी राइट ऑफिस का कार्य रजिस्ट्रार द्वारा किया जाता है और उसमे यदि कोई वाद आता है तो वह कॉपी राइट बोर्ड द्वारा सुलझाया जाता है। और कॉपी राइट सोसाइटी कॉपी राइट प्रदान करती है।
कॉपी राइट एक्ट को 6 बार संसोधित किया जा चुका है। सबसे जादा संसोधन 2008 मे किया गया था। यह मिनिस्टरी ऑफ ह्यूमन रेसौर्से के अंतर्गत आता है।
कॉपी राइट ऑफिस का मुख्य व्यक्ति रजिस्ट्रार होता है। कॉपी राइट का मुख्य कार्य रजिस्ट्रार के द्वारा होता है और इससे नीचे स्टार पर डिप्टी रजिस्ट्रार होता है।
कॉपी राइट बोर्ड
यह सेंट्रल गवर्नमेंट के द्वारा बनाया जाता है इसमे एक चेयरमान और कम से कम 2 मेम्बर होते है और जादा से जादा 14 मेम्बर हो सकते है।
कॉपी राइट बोर्ड के कार्य
बोर्ड यह निर्धारण करता है कि कोई कार्य पहले पब्लिश हो चुका है या नही।
जब कोई लेखक किसी के लिए किताब लिखता है तो वह अपने अधिकार को उसको दे देता है। इस प्रकार से झगड़े का निर्धारण बोर्ड करता है।
बोर्ड द्वारा उन चीजों का लाइसेंसे प्रदान करना जो अभी तक पब्लिश नही हुए है उनको आप पब्लिक तक पहुचाना बोर्ड का कार्य होता है।
बोर्ड उनको भी कंपलसरी लाइसेन्स प्रदान करता है जो लिटरी और ड्रमटिकल कार्य का ट्रांसलेसन किया
कॉपी राइट को बिना कॉपी राइट के उल्लंघन किए बिना निम्न दशा मे प्रयोग कर सकते है। कॉपीराइट के कर्ता को उसके कार्य का श्रेय दिया हो
उल्लंघनकारी सामग्री से कमाई नहीं की गयी हो
कुछ सामग्री की प्रतिलिपि के लिए शुल्क दिया हो
उसी प्रकार की सामग्री को इंटरनेट पर अन्य जगह भी देखा गया है
सामग्री को खरीदा गया हो। और उसकी कॉपी भी पास मे हो।
सामग्री को खुद ही टीवी, मूवी थिएटर या रेडियो से रिकॉर्ड किया हो
सामग्री की कॉपी खुद के द्वारा किसी पुस्तक, मूवी पोस्टर या फ़ोटोग्राफ़ से प्रतिलिपि बनाई है
सामग्री मे यह लिखा हो कि यह किसी कॉपीराइट उल्लंघन के लिए अभिप्रेत नहीं है
कॉपी राइट रजिस्ट्रेशन से संबन्धित दस्तावेज़ –
व्यक्ति का नाम, पता और राष्ट्रीयता का प्रमाण
प्रकाशन से एनओसी यदि प्रकाशित और प्रकाशित काम आवेदक से अलग है।तो उसका प्रमाण
कॉपी राइट ऑफिस से सर्टिफिकेट प्राप्त करना यदि कोई हो तो उसका प्रमाण
पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी लेना
2 कार्य की प्रतियां
लेखक का केवाईसी
रुपये का डीडी / आईपीओ का प्रमाण
यदि लेखक लेखक से अलग है, तो लेखक से एनओसी आदि की जानकारी
कॉपी राइट संबन्धित वाद –
गुरुजी डाट कॉम अपने सर्च इंजन के लिए भारत मे लोकप्रिय हुआ था। गुरुजी डाट कॉम ने संगीत के लिए सर्च इंजन बनाया था जो किसी भी संगीत रचना को तुरंत तलाश कर सकता था। वह उसका लिंक भी उपलब्ध कराता था जिससे आसानी से किसी को मिल जाये। जिन पर जाकर कोई भी तुरंत उस संगीत को सुनने के साथ ही गुरुजी डाट कॉम से डाउनलोड करके अपने कंप्यूटर पर स्टोर भी कर सकता था और जब चाहे उसका इस्तेमाल कर सकता था। गुरुजी डाट कॉम की वजह से सभी संगीत उत्पादों की बिक्री पर बुरा असर पड़ा था। लेकिन यह तो सर्च इंजन ने किसी भी संगीत उत्पाद या उसके अंश को न तो प्रस्तुत किया था और न ही किसी तरह का इस्तेमाल किया था।
इसमे शिकायत कर्ता ने यह कहा कि कंपनी के उत्पादों को बिना कोई मूल्य दिए हासिल कर सकता था। इस मामले से यह सवाल खड़ा हो गया था कि क्या इस तरह के स्वतंत्र काम को भी कॉपीराइट एक्ट का गंभीर अपराध माना जाये या नही। जिसमें पुलिस ने संज्ञान मे लेते हुए कंपनी की संपत्ति को जब्त कर ली । और कंपनी से सभी उच्चाधिकारियों को गिरफ्तार कर ले गयी। यह एक विशेष उदाहरण है कॉपी राइट का जिसमे यह सिद्ध करना मुश्किल हो गया कि क्या यह अपराध है या नही।
इसी प्रकार दूसरा उदाहरण इस प्रकार है।
इसमे दिल्ली विश्वविद्यालय पर मुकदमा दायर किया गया जिसमे यह कहा गया कि विश्वविद्यालय में पुस्तकों की फोटोकॉपी की जा रही है और प्रकाशको ने फोटो कापी करने को कॉपीराइट का उल्लंघन माना है। यूरोप के तीन प्रमुख पुस्तक प्रकाशकों ने दिल्ली विश्वविद्यालय पर यह वाद दायर किया है कि विश्वविद्यालय में पुस्तकों की फोटोकॉपी की जा रही है और प्रकाशको ने फोटो कापी करने को कॉपीराइट का उल्लंघन है। परंतु इसको सही नही माना गया क्योकि यह लोक हित मे है। इसके अनुसार यदि इन प्रकाशकों की आपत्ति को मान लिया जाए तो छात्र उन महंगी पुस्तकों का इस्तेमाल करने से वंचित हो जाएंगे। इससे शिक्षा पर गलत प्रभाव पड़ेगा परंतु कुछ लोगो ने इसका उपाय इस प्रकार बताया है कि प्रकाशकों से लाइसेंस प्राप्त करके फोटो कॉपी की जाएं तो एक-डेढ़ रुपया प्रति पृष्ट की दर पर छात्रों को उपलब्ध हो सकती हैं और प्रकाशकों को भी उसका फायदा मिलेगा और कॉपी राइट का उलंघन भी नही होगा।
कॉपीराइट एक्ट में दोषी को क्या सजा मिल सकती है।
कॉपीराइट एक्ट के उल्लंघन के लिए दोषी पाए जाने पर एक साल तक की सजा के साथ आर्थिक जुर्माने का प्रावधान है। जिसमे कॉपीराइट उल्लंघन पर जो हानि हुई है उसको क्लेम किया जा सकता है। तथा किसी ने कॉपीराइट के उल्लंघन कर जितना लाभ कमाया है उस हिसाब से हानि क्लेम किया जा सकता है।
सेक्शन 79 इन्फॉर्मेशन टेक्नालजी एक्ट भी इससे जुड़ा हुआ होता है।
इंटर्मीडियट का कार्य सूचना को पहुचाना होता है न कि उसका प्रयोग करना होता है।
पाइन लैब प्राइवेट लिमिटेड & टेरमीनल्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
इसके अनुसार अगर किसी लेखक ने अपने कार्य को किसी दूसरे को असाइन्मंट किया है और उसमे टाइम नही लिखा है तो उसको 5 साल मान लिया जाता है और अगर टेर्रिटोरी नही लिखा है तो इंडिया मान लिया जाता है। 5 साल के बाद लेखक के पास सभी अधिकार वापस आ जाता है। यह धारा 19(5) और धारा 19(6) मे बताया गया है।
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