सिविल प्रक्रिया संहिता 136 से लेकर के 140 तक

जैसा की आप सबको ज्ञात होगा कि इससे पहले की पोस्ट में हमने धारा 131 से लेकर के 135 तक बताया था अगर आपने धाराएं नहीं पड़ी है तो सबसे पहले आप इन धाराओं को पढ़ लीजिए जिससे की आगे की 

धाराएं समझने में आपको आसानी होगी !

धारा 136

  इस धारा के अनुसार जहां पर गिरफ्तार किया जाने वाला व्यक्ति पूर्व की जाने वाली संपत्ति जिले से बाहर है तो इसमें वहां की प्रक्रिया के बारे में बताया गया है!

 इसके अनुसार जहां यह आवेदन किया जाता है कि इस संगीता के किसी ऐसे उपवन के अधीन जो कि डिग्रियों के निष्पादन से संबंधित नहीं है या फिर कोई व्यक्ति गिरफ्तार किया जाता है या कोई संपत्ति कुर्क की जाती है और जिसने आने में ऐसा आवेदन किया जाए उसकी अधिकार ताकि स्थानीय सीमाओं से बाहर ऐसा व्यक्ति निवास करता है या फिर ऐसी संपत्ति स्थित है तो वहां न्यायालय विवेका अनुसार गिरफ्तारी का वारंट निकाल सकेगा और जिले के उच्च न्यायालय को जिसकी अधिकार ताकि स्थानीय सीमाओं के भीतर ऐसा व्यक्ति निवास करता है या फिर ऐसी संपत्ति स्थित है वहां पर वारंट या आदेश की एक प्रति गिरफ्तारी या पूर्व के खर्चों की संभावित के सहित भेज सकेगा !

जिस न्यायालय में ऐसी प्रक्रिया रकम की प्राप्ति पर अपने अधिकारियों के द्वारा या फिर अपने अधीनस्थ न्यायालय के द्वारा गिरफ्तारी या कुर्की किया जाएगा और जिस न्यायालय ने गिरफ्तारी या फिर कुर्की का ऐसा वारंट निकाला था या फिर आदेश दिया था उसको इस प्रकार की सूचना भेजेगा!

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इस धारा के अधीन गिरफ्तारी करने वाला न्यायालय गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को उच्च न्यायालय को भेजेगा जिसने की गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था किंतु यह गिरफ्तार किया गया व्यक्ति पूर्व कथित न्यायालय को समाधान प्रदान करने वाला हेतु किस बात के लिए दर्शित कर दें कि उससे पाश्चात्य कथित न्यायालय को क्यों ना भेजा दिया जाए अथवा पश्चात कथित न्यायालय के समक्ष अपनी इन बातों को दर्शित कर दे और या फिर ऐसी किसी डिक्री से तुष्ट के लिए जो उच्च न्यायालय के द्वारा उसके विरुद्ध पारित की जाए पर्याप्त प्रतिभूति दे दे तो इन दोनों में से हर एक में वह न्यायालय से गिरफ्तारी की है उसे छोड़ देगा !

जहां इस धारा के अधीन गिरफ्तार किए जाने वाला व्यक्ति या फिर कुर्क की जाने वाली संपत्ति बंगाल के फोर्ट विलियम या फिर मद्रास के या फिर मुंबई के उच्च न्यायालय की मामूली आरंभिक सिविल अधिकार ताकि स्थानीय सीमाओं के भीतर है तो वहां पर गिरफ्तारी के वारंट या फिर कुर्क का देश के प्रति और गिरफ्तारियां कुर्की के खर्चों की जो भी रकम होगी उसी अनुसार कोलकाता मद्रास मुंबई के लघु आज न्यायालय को भेजी जाएगी और वह न्यायालय उस प्रति तथा उस रकम के प्राप्त होने पर अपने अग्रसर होगा मानो कि वह जिला न्यायालय है!

धारा 137

इस धारा के अनुसार अधीनस्थ न्यायालयों की भाषा के बारे में बताया गया है!

भाषा जो कि इस संहिता के प्रारंभ पर उच्च न्यायालय के अधीनस्थ किसी भी न्याय की भाषा है उस अधीनस्थ न्यायालय की भाषा तब तक बनी रहेगी जब तक कि राज्य सरकार कोई भी अन्य निर्देश ना दे!

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 राज्य सरकार यह घोषणा कर सकेगी कि किसी भी ऐसे न्यायालय की भाषा क्या होगी और की स्लिप में ऐसे न्यायालयों के आवेदन और उनमें कार्यवाही की जाएगी !

जहां पर  साक्षी के अभिलेख अन से भिन्न किसी भी बात का किसी ऐसे न्यायालय में लिखित रूप से किया जाना अपेक्षित होता है वहां पर ऐसा लेखन अंग्रेजी में किया जाना चाहिए किंतु यदि कोई कार्य उसका प्लीडर अंग्रेजी नहीं जानता है तो उसे न्यायालय की भाषा में अनुवाद और उसकी प्रार्थना पर उसे दिया जाएगा और न्यायालय संवाद के खर्चों का संबंध में ऐसा आदेश करेगा जैसा कि मैं ठीक समझेगा! 

धारा 138

इस धारा के अनुसार साक्षी के अंग्रेजी में अभी लिखित किए जाने की अपेक्षा करने की उच्च न्यायालय की शक्ति को बताया गया है जिसके अनुसार उच्च न्यायालय जो कि राजपत्र में अधिसूचना के द्वारा ऐसी अधिसूचना में विनिर्दिष्ट या फिर उन में दिए हुए वर्णन करने वाले किसी न्यायाधीश के बारे में निर्देश दे सकेगा !

और यह भी बता सकेगा कि किन मामलों में जिसमें अपील अनुज्ञा के साथ अंग्रेजी भाषा में और भी तरीके से उसके द्वारा लिखा जाएगा जहां पर न्यायाधीश के अधीन निर्देश का अनुपालन करने में किसी पर्याप्त कारणवश निर्धारित हो रहा है वहां पर उस कारण को अभी लिखित करेगा और खुले न्यायालय में बोलकर साक्ष्य लिखएगा! 

धारा 139

इस धारा के अनुसार  शपथ पत्र के लिए शपथ किसके द्वारा दिलाई जाएगी यह बताया जाएगा इस कोड  के अधीन किसी भी शपथ पत्र की दशा में कोई भी न्यायालय में मजिस्ट्रेट अथवा नोटरी अधिनियम 1952 के अधीन नियुक्त नोटरी अथवा कोई ऐसा अधिकारी या फिर अन्य व्यक्ति जिसे उच्च न्यायालय में नियुक्त करें तथा किसी अन्य न्यायालय के द्वारा जिसे राज्य सरकार ने इसके लिए साधारण से विशेष रूप से शक्ति प्रदान की हो या फिर उसका नियुक्त किया गया हो ऐसा कोई भी अधिकारी साक्षी को शपथ दिला सकेगा

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धारा 140

इस धारा के अनुसार उद्धरण आदि के मामलों में बताया गया है जिसके अनुसार नवादी करण विषयक ऐसे मामले जो कि उदाहरण अनुकरण या फिर टक्कर आज का है न्यायालय चाहे तो वह अपनी आरंभिक अधिकारिता का प्रयोग कर रहा हूं या फिर अपनी अधिकारिता का वह अपनी सहायता के लिए ऐसे रीति से जो कि विनिर्दिष्ट करें या जो बीच की जाए दो समक्ष अग्रेषित हो यदि वह समझे तो समन जारी कर सकेगा और ऐसे मामलों में से पक्ष कार में से किसी भी निवेदक पर समन करेगा और तदनुसार असेसर हाजिर होंगे और उनकी सहायता करेंगे!

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