दण्ड प्रक्रिया संहिता धारा 66 से 72 तक का विस्तृत अध्ययन

जैसा कि आप सभी को ज्ञात होगा इससे पहले की पोस्ट मे दण्ड प्रक्रिया संहिता धारा 66 तक का विस्तृत अध्ययन करा चुके है यदि आपने यह धाराये नही पढ़ी है तो पहले आप उनको पढ़ ली जिये जिससे आपको आगे की धाराये समझने मे आसानी होगी।

धारा 66

इस धारा मे यह बताया गया है कि जुर्माना न देने पर किस भाति का कारागार दिया जाता है इसमे बताया गया है। यदि कोई व्यक्ति जुर्माना नही देता है तो उस अपराधी को जिस तरह का कारावास पहले निश्चित किया था उसी अनुसार दिया जाता है। जैसे कि किसी व्यक्ति ने साधारण कारावास का अपराध किया है तो जुर्माना न देने पर भी उसको साधारण कारावास भी दिया गया है। यदि किसी को कठोर कारावास दिया गया है तो जुर्माना न देने पर भी उसको कठोर कारावास कि सजा बढ़ा दी जाएगी।

धारा 67

यदि किसी मामले मे सिर्फ जुर्माना से दंडित किया गया हो तो ऐसे समय मे व्यक्ति को कौन सा कारावास दिया गया यह इसमे बताया गया है। यदि अपराध केवल जुर्माना का हो तो उसको साधारण कारावास दिया जाएगा और इसमे यह भी बताया गया है कि कितने समय का कारावास दिया जाएगा यदि वह कितने रुपये तह जुर्माना नही देता है।

इसको उदाहरण से समझते है यदि कोई व्यक्ति 50 रुपए तक का जुर्माना नही देता है तो उसको 2 माह से कम का सजा दिया जा सकता है।

यदि किसी व्यक्ति को 100 रुपये तक जुर्माना किया गया है तो 4 माह से अधिक का कारावास नही हो सकता है।

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यदि किसी व्यक्ति को 100 रुपये से अधिक  तक जुर्माना किया गया है तो 6  माह से अधिक का कारावास नही हो सकता है।

यह धारा बताती है कि यदि कोई जुर्माना नही देता है तो 6 माह से अधिक का कारावास नही दिया जा सकता है।

धारा 68

यदि कोई व्यक्ति जुर्माना जमा कर देता है तो उसको मुक्त करना

इसके अनुसार यदि व्यक्ति को कारावास और जुर्माना दोनों होता है और वह कारावास का समय काट लेता है और जुर्माना नही देता है तो उसको 2 माह का अधिक कारावास मिलेगा परंतु यदि उस 2 माह मे कभी भी जुर्माना जमा कर देता है तो वह कारावास से मुक्त हो जाएगा।

यदि किसी पर जुर्माना लगाया गया है तो उसकी सजा वही समाप्त कर दी जाएगी जब जुर्माना जमा कर दे या विधि द्वारा जुर्माना वसूल लिया जाये।

धारा 69

इस धारा मे यह बताया गया है कि यदि कोई व्यक्ति जुर्माना नही जमा करता है तो उसको अतिरिक्त कारावास कि सजा भोग रहा है तो जुर्माना कि राशि सजा कि अवधि के अनुसार बाट दी जाएगी।

जैसे किसी व्यक्ति पर 100 रुपये तक का जुर्माना के लिए  अतिरिक्त कारावास मिला है यदि वह अतिरिक्त कारावास के रूप मे 1 माह का सजा भोग लिया है और वह 75 रुपये जमा कर दे तो उसको छोड़ दिया जाएगा। यदि जुर्माना देने पर व्यतिक्रम होने कि दशा मे नियत कि गयी कारावास कि अवधि का अवसाद होने पर जुर्माना का अनुपात वसूल कर लिया  वह जुर्माना के न चुकाने वाले भाग से कम न हो तो वह मुक्त कर दिया जाएगा।

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धारा 70

 इसमे बताया गया है कि जुर्माना का 6 वर्ष के भीतर या कारावास के दौरान उदग्रहित होना इसका मतलब है कि संपत्ति मे से भी यह जुर्माने वसूल कर लिया जाएगा और उसकी मृतु होने पर भी ऋण से मुक्त नही किया जा सकता है।

यदि अपराधी दंडादेश के दौरान 6 वर्ष से जादा कि सजा हो तो 6 वर्ष तक किसी भी समय वसूल कर लिया जाएगा । यदि किसी व्यक्ति को ऋण का भार है और वह संपत्ति पर है तो उसके उत्तराधिकारी जो संपत्ति के मालिक होंगे उनपर ऋण का भी भार होगा।

धारा 71

यह धारा बताती है कि कई अपराध मिल कर जब कोई धारा बनती है तो उसका परिणाम क्या होगा।

।यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को कई बार चोट पाहुचाया है तो वह एक ही अपराध माना जाएगा परंतु यदि वह साथ मे चोरी भी करता है तो वह दूसरा अपराध के लिए दंडित किया जाएगा

यदि कोई अपराधी बार बार किसी अपराध को करता है तो वह उनमे से किसी एक के लिए जो अधिक दंडनीय है तो वह लागू होगी परंतु वह अन्य धाराओ मे वर्णित न हो यदि ऐसा होता है तो वह 2 अपराध के लिए दंडित होगा ।

यदि अलग अलग अपराध करते है तो अलग अलग दंडित किया जाएगा। यदि यह एक व्यक्ति के साथ होता है तो वह एक बार ही दंडित किया जाएगा। उसको जादा दंड नही दिया जा सकता है। वह अपराध कि परिभाषा के अनुसार ही दंड दिया जाएगा।

धारा 72

यह धारा बताती है यदि कोई व्यक्ति कई अपराध चोरी मर्डर आदि किए हो और न्यायालय यह पता नही कर प रहा कि कौन कौन सा अपराध किया है न्यायालय को अपराध के लिए संदेह मात्र है कि इस व्यक्ति ने यह सब अपराध किया है। और यह किसी न किसी अपराध का दोषी है। तब न्यायालय उसको सजा देगा और इन अपराधों मे से सबसे कम दंड के अपराध के लिए सजा दिया जा सकता है।

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उनसब मामलो मे जिसपर यह निर्णय दिया जाता है कि व्यक्ति कई अपराधों मे विर्न्दिस्त है और न्यायालय को यह नही पता कि कौन सा अपराध किया है तो वह कम से कम सजा के लिए उत्तरदाई होगा।

भारतीय दंड संहिता की कई धराये अब तक बता चुके है यदि आपने यह धराये नही पढ़ी है तो पहले आप उनको पढ़ लीजिये जिससे आपको आगे की धराये समझने मे आसानी होगी।

यदि आपको इन धारा को समझने मे कोई परेशानी आ रही है। या फिर यदि आप इससे संबन्धित कोई सुझाव या जानकारी देना चाहते है।या आप इसमे कुछ जोड़ना चाहते है।या फिर आपको इन धारा मे कोई त्रुटि दिख रही है तो उसके सुधार हेतु भी आप अपने सुझाव भी भेज सकते है।

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