दण्ड प्रक्रिया संहिता धारा 88 से 93 तक का विस्तृत अध्ययन

जैसा कि आप सभी को ज्ञात होगा इससे पहले की पोस्ट मे दंड प्रक्रिया संहिता धारा 89 से 92  तक का विस्तृत अध्ययन करा चुके है यदि आपने यह धाराएं नही पढ़ी है तो पहले आप उनको पढ़ लीजिये जिससे आपको आगे की धाराएं समझने मे आसानी होगी।

धारा 88

इस धारा मे नियत समय पर उपस्थित होने के लिए जमानत लेने कि शक्ति को बताया गया है। जिसके अनुसार कोई व्यक्ति किसी न्यायालय के सामने उपस्थित है और वारंट जारी करने का अधिकार है तो न्यायालय बांध पत्र के द्वारा जमानत देने कि शक्ति रखता है और यदि जब कोई व्यक्ति जिसकी गिरफ्तारी के लिए पीठासीन अधिकारी कट है तो वह अधिकारी इस व्यक्ति सेआसा कर सकता है कि मामला उस न्यायालय मे या फिर अंतरित किसी और न्यायालय मे बंध पत्र सहित या परिपूर्ण रहित निष्पादित करे ।

खुद के बंध पत्र से या दूसरे व्यक्ति के द्वारा न्यायालय को यह विश्वास दिलाये कि जब न्यायालय बोलेगा तब वह हाजिर रहेगा, यह धारा केवल उनपर लहजों न्यायालय के सामने आया है और स्वतंत्र है। यदि कोई पहले स हिरासत मे है तो यह उस पर लागू नही होता है।

धारा 89

इस धारा मे यह बताया गया है कि हाजिरी का बंधपत्र भंग करने पर गिरफ्तारी कैसे होगी। कोई व्यक्ति जिसका यह दायित्व था कि वह न्यायालय मे हाजिर हो और उसके लिए वह बंध पत्र देता है और जब वह न्यायालय मे उपस्थित नही होता है तो यह धारा लागू होता है।
जब कोई व्यक्ति जो इस संहिता के अधीन लिए गए किसी बंधपत्र द्वारा न्यायालय के समक्ष हाजिर होने के लिए प्रतिबंध है।

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और  हाजिर नहीं होता है तब उस न्यायालय का पीठासीन अधिकारी यह आदेश देते हुए वारंट जारी कर सकता है कि वह व्यक्ति गिरफ्तार किया जाए और न्यायालय के समक्ष पेश किया जाएगा। जब कोई व्यक्ति न्यायालय के आदेश का पालन नही करता है और हाजिर नही होता है तो न्यायालय गिरफ्तारी का आदेश दे सकता है।

धारा 90

इस धारा मे यह बताया गया है। इस अध्याय के उपबंधों का साधारणतया समनों और गिरफ्तारी के वारंटों को लागू करना होता है।
समन और वारंट तथा उन्हें जारी करने कि तिथि और उनकी तामील और उनके निष्पादन संबंधी जो उपबंध है वह लागू होता है। वे इस संहिता के अधीन जारी किए गए प्रत्येक समन और गिरफ्तारी के प्रत्येक वारंट को लागू किया जाना चाहिए।

धारा 91

इस धारा मे यह बताया गया है दस्तावेज या अन्य चीज पेश करने के लिए समन
 जब कभी कोई न्यायालय या पुलिस थाने का कोई भारसाधक अधिकारी समझता है कि किसी ऐसे अन्वेषण, जांच, विचार, या अन्य कार्यवाही के लिए  जो इस संहिता के अधीन ऐसे न्यायालय या अधिकारी के द्वारा या समक्ष हो रही हैं।  किसी दस्तावेज या अन्य चीज का पेश किया जाना आवश्यक होता है।

तो जिस व्यक्ति के कब्जे या शक्ति में ऐसी दस्तावेज या चीज के होने का विश्वास करना होता है तब  उसके नाम ऐसा न्यायालय एक समन या ऐसा अधिकारी एक लिखित आदेश उससे यह अपेक्षा करते हुए जारी कर सकता है कि उस समन या आदेश में लिखित समय और स्थान पर उसे पेश करे अथवा हाजिर हो और उसे पेश करे।

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यदि कोई व्यक्ति जिससे इस धारा के अधीन दस्तावेज या अन्य चीज पेश करने की ही अपेक्षा की गई है।  उसे पेश करने के लिए स्वयं हाजिर होने के बजाय उस दस्तावेज या चीज को पेश करवा दे तो यह समझा जाएगा कि उसने उस अपेक्षा का अनुपालन कर दिया है।
 डाक या तार प्राधिकारी की अभिरक्षा में किसी पत्र, पोस्टकार्ड, तार या अन्य दस्तावेज या किसी पार्सल या चीज को लागू होने वाली नही मान सकता है।

धारा 92

इस धारा मे पत्रों और तारों के संबंध में होने वाली प्रक्रिया को बताया गया है। डाक विभाग के पास यदि कोई टार पार्शल या मनी ऑर्डर है तो न्यायालय उसके लिए क्या आदेश कर सकता है। यदि वह न्यायालय के लिए न्याय के लिए आवश्यक है।


 यदि किसी जिला मजिस्ट्रेट, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सेशन न्यायालय या उच्च न्यायालय की राय में यदि किसी डाक या तार प्राधिकारी की अभिरक्षा की कोई दस्तावेज, पार्सल या चीज इस संहिता के अधीन किसी अन्वेषण जांच विचार या अन्य कार्यवाही या किसी भी चीज के लिए के प्रयोजन के लिए चाहिए तो वह मजिस्ट्रेट या न्यायालय यथास्थिति  डाक या तार प्राधिकारी से यह अपेक्षा कर सकता है कि उस दस्तावेज, पार्सल या चीज का परिदान उस व्यक्ति को जिसका वह मजिस्ट्रेट या न्यायालय निर्देश दे कर दिया जाए।न्यायालया यह निर्देश दे कि वह वस्तु इस व्यक्ति को दे दिया जाए ऐसे समय मे डाक उस व्यक्ति को दे देगा जिससे न्यायालय कहेगा।


 यदि किसी अन्य मजिस्ट्रेट की चाहे वह कार्यपालक है या न्यायिक या किसी पुलिस आयुक्त या जिला पुलिस अधीक्षक की राय में ऐसी कोई दस्तावेज पार्सल या चीज ऐसे किसी प्रयोजन के लिए चाहिए तो वह यथास्थिति डाक या तार प्राधिकारी से अपेक्षा कर सकता है कि वह ऐसी दस्तावेज पार्सल या चीज के लिए तलाशी कराए और उसे उपधारा (1) के अधीन जिला मजिस्ट्रेट, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट या न्यायालय के आदेशों के मिलने तक निरुद्ध रखे।

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धारा 93

इस धारा मे यह बताया गया है कि तलाशी वारंट कब जारी किया जा सकता है। यह वारंट निम्न दशा मे जारी किया जा सकता है। जब न्यायालय को यह लगता है कि किसी व्यक्ति को सेक्शन 91 के तहत किसी दस्तावेज़ को अदालत के समक्ष प्रस्तुत करने को कहा गया है और वह व्यक्ति ऐसा नहीं करता है तो न्यायालय उसके खिलाफ तलाशी वारंट जारी कर सकता है.


जब न्यायालय को यह विश्वास करने का कारण है कि जिस मामले में कोर्ट के यह लगता है कि किसी भी तरह की इंकुइरी या फिर  सर्च के आधार पर उसका निपटारा  किया जा सकता है। तब तलाशी वारंट जारी किया जा सकता है।


यदि आपको इन धारा को समझने में कोई परेशानी आ रही है। या फिर यदि आप इससे संबन्धित कोई सुझाव या जानकारी देना चाहते है।या आप इसमें कुछ जोड़ना चाहते है।या फिर आपको इन धारा मे कोई त्रुटि दिख रही है तो उसके सुधार हेतु भी आप अपने सुझाव भी भेज सकते है।

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