जैसा कि आप सभी को ज्ञात होगा इससे पहले की पोस्ट मे भारतीय दंड संहिता धारा 293 तक का विस्तृत अध्ययन करा चुके है यदि आपने यह धाराएं नहीं पढ़ी तो आप उनको पढ़ लीजिये जिससे आपको आगे की धाराएं समझने में आसानी होगी।
धार 294 –
इस धारा के अनुसार अश्लील कार्य और गाने के बारे मे बताया गया है।
जो कोई व्यक्ति
(क) किसी लोक स्थान में कोई अश्लील कार्य करता है। अथवा
(ख) किसी लोक स्थान में या उसके समीप कोई अश्लील गाने या असलील शब्द गाएगा या सुनाएगा या उच्चारित करेगा। तथा जिससे दूसरों को क्षोभ होता हो, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि 3 मास तक की है या जुर्माने से या दोनों से दण्डित किया जाएगा।तथा यह यह एक जमानती तथा संज्ञेय अपराध है । और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
धारा 295-
इस धारा के अनुसार किसी वर्ग के धर्म का अपमान करने के आशय से उपासना के स्थान को क्षति करना या अपवित्र करना आदि को बताया गया है। जो कोई किसी उपासना के स्थान जिसपर उपासना होती है। या व्यक्तियों के किसी वर्ग के द्वारा पवित्र मानी गई किसी वस्तु को नष्ट करेगा या नुकसानग्रस्त या अपवित्र इस आशय से करेगा कि किसी वर्ग के धर्म का तद्द्वारा अपमान किया जाए या यह सम्भाव्य जानते हुए करेगा कि व्यक्तियों का कोई वर्ग ऐसे नाश, नुकसान या अपवित्र किए जाने को अपने धर्म के प्रति अपमान समझेगा। तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। या फिर आर्थिक दण्डदिया जा सकता है । या फिर दोनों से दण्डित किया जाएगा।यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मेजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
धारा 296-
इस धारा के अनुसार धार्मिक जमाव में विघ्न करना बताया गया है।
इसके अनुसार जो कोई धार्मिक उपासना या धार्मिक संस्कारों में वैध रूप से लगे हुए किसी जमाव में स्वचेछया पूर्वक विघ्न कारित करेगा। वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जो की अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से दण्डित किया जाएगा ।
धारा 297-
इस धारा के अनुसार कब्रिस्तानों आदि में अतिचार करना बताया गया है।
जो कोई किसी उपासना के स्थान में, या फिर किसी कब्रिस्तान पर या अन्त्येष्टि क्रियाओं के लिए या मृतकों के अवशेषों के लिए निक्षेप स्थान के रूप में पृथक रखे गए किसी स्थान में अतिचार या किसी मानव शव की अवहेलना या अन्त्येष्टि संस्कारों के लिए एकत्रित किन्हीं व्यक्तियों को विघ्न कारित करता है।
और वह इस आशय से करेगा कि किसी व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुंचाए या फिर किसी व्यक्ति के धर्म का अपमान करे या यह सम्भाव्य जानते हुए करेगा कि तद्द्वारा किसी व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी। या किसी व्यक्ति के धर्म का अपमान होगा तो ऐसे स्थित मे वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी। या जुर्माने से या दोनों से. दण्डित किया जाएगा ।
धारा 298-
इस धारा के अनुसार धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के सविचार आशय से शब्द उच्चारित करना आदि को बताया गया है । जो कोई किसी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आशय से उसकी श्रवणगोचरता में कोई शब्द उच्चारित करेगा या कोई ध्वनि करेगा या उसकी दृष्टिगोचरता में कोई संकेत करेगा या फिर कोई वस्तु रखेगा तो ऐसे स्थित मे उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास दिया जा सकता है। जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। या आर्थिक दण्डदिया जा सकता है। या फिर दोनों से दण्डित किया जाएगा। यह एक गैर-जमानती तथा गैर-संज्ञेय अपराध है। और किसी भी मजिस्ट्रेट के द्वारा यह विचारणीय है। तथा यह अपराध पीड़ित व्यक्ति जिसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुचायी गई हो उसके द्वारा समझौता करने योग्य है।
धारा 299-
इस धारा के अनुसार आपराधिक मानव वध को बताया गया है।
जो कोई मृत्यु कारित करने के आशय से या फिर ऐसी शारीरिक क्षति कारित करने के आशय से जिससे मृत्यु कारित हो जाना सम्भाव्य हो या यह ज्ञान रखते हुए कि यह सम्भाव्य है कि वह उस कार्य से मृत्यु कारित कर देगा। कोई कार्य करके मृत्यु कारित कर देता है। तो वह आपराधिक मानव वध का अपराध करता है।
उदाहरण –
राम एक गड्डे पर लकड़ियां और घास इस आशय से बिछाता है कि तद्द्वारा मृत्यु कारित करे या यह ज्ञान रखते हए बिछाता है कि सम्भाव्य है कि तद्वारा मृत्यु कारित हो। जय यह विश्वास करते हुए कि वह भूमि सुदृढ है उस पर चलता है। उसमें गिर पड़ता है और मारा जाता है। राम ने आपराधिक मानव वध का अपराध किया है।
स्पष्टीकरण-
वह व्यक्ति जो किसी दूसरे व्यक्ति को जो किसी विकाररोग या अंग-शैथिल्य से ग्रस्त है। शारीरिक क्षति कारित करता है और तद्द्वारा उस दूसरे व्यक्ति की मृत्यु त्वरित कर देता है।तो वह उसकी मृत्यु कारित करता है ऐसा समझा जाएगा।
जहाँ कि शारीरिक क्षति से मृत्यु कारित की गई हो। वहाँ जिस व्यक्ति ने, ऐसी शारीरिक क्षति कारित की हो। उसने वह मृत्यु कारित की है। यह समझा जाएगा। भले ही उचित उपचार और कौशलपूर्ण चिकित्सा करने से वह मृत्यु रोकी जा सकती थी।
स्पष्टीकरण 3
मां के गर्भ में स्थित किसी शिशु की मृत्यु कारित करना मानव वध नहीं है। किन्तु किसी जीवित शिशु की मृत्यु कारित करना आपराधिक मानव वध की कोटि में आ सकेगा। यदि उस शिशु का कोई भाग बाहर निकल आया हो। यद्यपि उस शिशु ने श्वांस न ली हो या वह पूर्णत: उत्पन्न न हुआ हो।
रणजीत सिंह बनाम राज्य के अनुसार –
जहाँ अचानक झगडे और लड़ाई के पश्चात् केवल एक बेधन क्षति गर्दन पर कारित की गई जिससे और अन्य आसपास की धमनियों के कट जाने के कारण आयात और रक्तस्राव से मृतक की मृत्यु हो गई तो वह भी मानव बध के अंतर्गत आता है।
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