जैसा कि आप सभी को ज्ञात होगा इससे पहले की पोस्ट मे भारतीय दंड संहिता धारा 108 तक का विस्तृत अध्ययन करा चुके है यदि आपने यह धाराये नही पढ़ी है तो पहले आप उनको पढ़ ली जिये जिससे आपको आगे की धाराये समझने मे आसानी होगी।
धारा 109
इस धारा मे दुस्प्रेरण के दंड के बारे मे बताया गया है। यदि इस संहिता के अधीन दुस्प्रेरण के लिए दंड का प्रावधान न किया गया हो तो जिस अपराध के लिए दुस्प्रारित किया गया हो उस अपराध के दंड के अनुसार दुस्प्रेरण का दंड दिया जाता है।
उदाहरण –
क ने ख को ग की हत्या के लिए उकसाया और उसको बंदूक भी दिया और क उसमे शामिल भी हुआ और खा ने ग की हत्या कर दी तो क और खा दोनों ही हत्या के लिए उत्तरदाई होगी।
जहा यह बताया नही गया है ही अपराध के दुस्प्रेरण के लिए कौन सी सजा मिलेगी तो जो सजा अपराध करने पर मिलती वही दंड उस अपराध को उकशाने वाले को भी मिलेगी।
धारा 110
भारतीय दंड संहिता की इस धारा मे यह बताया गया है कि जब आप किसी व्यक्ति को किसी अपराध के लिए किसी व्यक्ति को जिस आशय और ज्ञान के साथ उकषाते है उसी आशय और ज्ञान से भिन्न किसी आशय और ज्ञान से कोई अपराध करता है तो आपको वही सजा मिलेगी जो आपने उकसाया है न कि उस व्यक्ति ने जो अपराध किया है।
उदाहरण
आ ने ब को ज के घर एक बैग चोरी करने के लिए ऊकषाता है। और आ को पता है कि ज जब उस बैग को लाएगा तो उसमे पैसे के अलावा देश कि सुरक्षा से संबन्धित दस्तावेज़ है जो आ बेच देगा तो आ का आशय अलग और ब का आशय अलग है दोनों को अपने अपने आशय के लिए अलग अलग दंड मिलेगा।
धारा 111
भारतीय दंड संहिता की इस धारा मे यह बताया गया कि दुसप्रेरक का दायित्व जब दुस्प्रेरण का कार्य भिन्न है तो क्या परिणाम होगा । जैसे आ ने ब को ज के घर मे आग लगाने के लिए दुस्प्रेरण के लिए उकषाता है और ब ज के घर मे आग लगने से पहले चोरी कर फिर आग लगाया तो दुस्प्रारित व्यक्ति को चोरी और आग लगाने के लिए दंड दिया जाएगा और आ को आग लगाने के लिए दोषी माना जाएगा।
इसमे अतिसंभावी परिणाम की भी गड़ना की जाती है जैसे घर मे आग लगने से लोग मर जाये तो मर्तु कारित करने के लिए भी आ को दोषी माना जाएगा।
धारा 112
भारतीय दंड संहिता की इस धारा मे यह बताया गया है कि दंड का आकलन किस प्रकार दुसप्रेरक द्वारा दुस्प्रेरण के लिए दंडनीय होगा जैसे राम ने श्याम को दुस्प्रारित करता है कि पोलिस वाले को अन्दर मत आने देना और उसको काम नही करने देना और श्याम ने पुलिस वाले को घोर उत्पात किया और रोका यदि इस बात कि जानकारी राम को थी कि श्याम ऐसा कर सकता है तो राम दोनों अपराध के लिए दंडित होगा।
यदि उसको यह जानकारी नही है तो वह केवल रोके जाने के लिए दंडित होगा कि पुलिस को अपना काम नही करने दिया ।
धारा 113
भारतीय दंड संहिता की इस धारा मे यह बताया गया दुस्प्रारित कार्य को करने के लिए उस प्रभाव के द्वारा दुसप्रेरक का दायित्व जो आशय से भिन्न है। जैसे राम ने श्याम को उकसाया कि ज्ञान को गंभीर चोट पहुचा दो और श्याम ने ज्ञान को इतना चोट पाहुचाया कि ज्ञान मर गया तो ऐसे समय मे राम को भी हत्या के लिए दोषी माना जाएगा और श्याम को भी।
धारा 114
भारतीय दंड संहिता की इस धारा मे यह बताया गया कि इस मे यदि कोई व्यक्ति किसी को ऊकषाता है और वही पर है जहा यह कार्य हो रहा है तो वह व्यक्ति भी बराबर का दोषी होगा ।
जैसे राम ने शाम को जज को मारने के लिए उकसाया और मारते समय वही खड़ा था तो वह भी हत्या का दोषी होगा। यह पूर्व योजना के अंतर्गत होना चाहिए। या फिर उसकी सहायता किया हो तो यह दुस्प्ररित माना जाता है।
धारा 115
भारतीय दंड संहिता की इस धारा मे यह बताया गया कि कोई व्यक्ति ऐसे अपराध को करने के लिए दुस्प्प्रेरित करता है जो म्र्तु दंड से दंडित किया जा सकता है पर वह अपराध नही किया गया है तो ऐसे मे उसको कितनी सजा होगी यह बताया गया है। ऐसे मे दुसप्रेरक को 7 साल कि सजा मिलेगी और जुर्माने से उसको दंडित किया जाएगा। यदि अपराध करने मे गंभीर चोट पाहुचाया गया है तो 14 साल कि सजा होगी।
धारा 116
भारतीय दंड संहिता की इस धारा मे यह बताया गया है कि कारावास से दंडनीय अपराध का दुस्प्रेरण – ऐसे अपराध का दुस्प्रेरन कि कोई व्यक्ति ऐसे अपराध को करने के लिए दुस्प्प्रेरित करता है जो कारावास से दंडित किया जा सकता है पर वह अपराध नही किया गया है तो ऐसे मे उसको कितनी सजा होगी यह बताया गया है। ऐसे मे दुसप्रेरक को ¼ साल कि सजा मिलेगी यदि वह अपराध नही किया गया है। यदि किसी को अपराध करने के लिए 8 साल कि सजा मिलती तो दुसप्रेरक को 2 साल कि अधिकतम सजा मिलेगी ।
यदि वह व्यक्ति लोक सेवक है तो उसको ½ साल कि सजा मिलेगी यानि कि 4 साल कि सजा मिलेगी।
धारा 117
भारतीय दंड संहिता की इस धारा मे यह बताया गया है कि 10 से अधिक व्यक्ति द्वारा अपराध किया गया है इसका दुस्प्रेरण कोई करता है तो इसकी सजा का प्रावधान इसमे बताया गया है । वह दोनों मे से किसी भी कारावास से जिसकी अवधि 3 वर्ष तक हो सकती है और जुर्माने से भी दंडित किया जा सकता है।
धारा 118
भारतीय दंड संहिता की इस धारा मे यह बताया गया है इसमे अपराध ऐसा हो जो मृतु दंड से दंडनीय हो ऐसे अपराध को कोई छिपाता है और अपराध को सुगम बनाता है तो धारा 118 के अनुसार दंडनीय होगा।
जैसे काही डकैती होने वाली है और उस व्यक्ति को पता होता है पुलिस को वह व्यक्ति गुमराह कर देता है तो वह अपराध को सुगम बनाया है तो वह धारा 118 के अनुसार यह परिकल्पना को छुपाता है जो मृतु दंड या आजीवन कारावास से दंडनीय है। यह अवैध लोप द्वारा स्व्च्छा से छिपाएगा तो उसको अपराध कर देने पर 7 वर्ष तक का कारावास मिलेगा और अपराध नही होता है तो 3 वर्ष के कारावास से दंडनीय हो सकता है और जुर्माना लगाया जा सकता है।
भारतीय दंड संहिता की कई धराये अब तक बता चुके है यदि आपने यह धराये नही पढ़ी है तो पहले आप उनको पढ़ लीजिये जिससे आपको आगे की धराये समझने मे आसानी होगी।
यदि आपको इन धाराओ को समझने मे कोई परेशानी आ रही है। या फिर यदि आप इससे संबन्धित कोई सुझाव या जानकारी देना चाहते है।या आप इसमे कुछ जोड़ना चाहते है।या फिर आपको इन धाराओ मे कोई त्रुटि दिख रही है तो उसके सुधार हेतु भी आप अपने सुझाव भी भेज सकते है।
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