जैसा कि आप सभी को ज्ञात होगा इससे पहले की पोस्ट मे भारतीय दंड संहिता धारा 220 तक का विस्तृत अध्ययन करा चुके है यदि आपने यह धाराएं नहीं पढ़ी तो आप उनको पढ़ लीजिये जिससे आपको आगे की धाराएं समझने में आसानी होगी।
धारा 221-
इस धारा के अनुसार पकड़ने के लिए आबद्ध लोक सेवक द्वारा पकड़ने का साशय लोप को बताया गया है।
ऐसा कोई लोक सेवक जो इस पद पर होते हुए जो किसी अपराध के लिए आरोपित या पकड़े जाने के दायित्व के अधीन किसी व्यक्ति को पकड़ने या परिरोध में रखने के लिए लोक सेवक के नाते वैध रूप से आबद्ध हुआ है। ऐसे व्यक्ति को पकड़ने का साशय लोप करेगा या ऐसे परिरोध में से ऐसे व्यक्ति का निकल भागना सहन करेगा या ऐसे व्यक्ति के निकल भागने में या निकल भागने के लिए प्रयत्न करने में किसी भी प्रकार से सहायता करेगा । तो वह निम्नलिखित रूप से दंडित किया जाएगा।
यदि कोई परिरुद्ध व्यक्ति या जो व्यक्ति पकड़ा जाना चाहिए था वह मृत्यु से दंडनीय अपराध के लिए आरोपित या पकड़े जाने के दायित्व के अधीन हो। तो ऐसे व्यक्ति को जुर्माने सहित या रडित दोनों में से किसी भी भांति के कारावास से जो कि सात वर्ष तक की सजा हो सकेगी
अथवा यदि परिरुद्ध व्यक्ति या जो व्यक्ति पकड़ा जाना चाहिए था उसको आजीवन कारावास या 10 साल के कारावास से दंडित किया गया होगा तो ऐसा व्यक्ति अपराध के लिए आरोपित या पकड़े जाने के दायित्व के अधीन हो। तो वह जुर्माने सहित या रहित दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी उससे दंडित किया जा सकता है।
यदि परिरुद्ध व्यक्ति या जो पकड़ा जाना चाहिए था वह दस वर्ष से कम की अवधि के लिए कारावास से दंडनीय होगा या फिर अपराध के लिए आरोपित या पकड़े जाने के दायित्व के अधीन हो तो ऐसे व्यक्ति को दोनों में से किसी भी भांति के कारावास से जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी , या फिर जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है |
धारा 222-
इस धारा के अनुसार दण्ड का प्रावधान को बताया गया है।
जो कोई व्यक्ति ऐसा लोक सेवक होते हुए भी जो किसी अपराध के लिए न्यायालय के दंडादेश के अधीन या अभिरक्षा में रखे जाने के लिए विधिपूर्वक सुपुर्द किए गए हो ऐसे किसी व्यक्ति को पकड़ने या परिरोध में रखने के लिए ऐसे लोक सेवक के नाते वैध रूप से आबद्ध है। या ऐसे व्यक्ति को पकड़ने का साशय लोप करेगा। या ऐसे परिरोध में से साशय ऐसे व्यक्ति का निकल भागना सहन करेगा या निकल भागने में। या निकल भागने का प्रयत्न करने में साशय मदद करेगा। वह निम्नलिखित रूप से दंडित किया जाएगा।
इस धारा के अपराध संज्ञेय तथा जमानती/ अजमानतीय दोनो प्रकार के होते हैं। और उनकी सुनवाई सेशन न्यायालय एवं प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा पूरी होती हैं।
सजा:-(i). यदि न्यायालय के दंडादेश के अधीन आरोपी मृत्यु दण्ड से दण्डनीय हो ऐसी दशा में उसको आजीवन कारावास या 14 वर्ष की कारावास जुर्माना या फिर दोनों दिया जा सकता है।
(ii). यदि न्यायालय के दंडादेश के अधीन आरोपी आजीवन कारावास या दस वर्ष से दण्डनीय हो तो ऐसी दशा मे उसे 7 वर्ष की कारावास जुर्माना या फिर दोनों दिया जा सकता है।
(iii).यदि न्यायालय के दंडादेश के अधीन आरोप दस वर्ष से कम की कारावास से दंडनीय हो तो ऐसी दशा मे उसको 3 वर्ष की कारावास या जुर्माना या फिर दोनो से दण्डित किया जा सकता है।
धारा 223 –
इस धारा के अनुसार लोक सेवक द्वारा उपेक्षा से परिरोध या अभिरक्षा में से निकल भागना सहन करना आदि को बताया गया है।
इसके अनुसार जब कोई लोक सेवक होते हुए या ऐसे लोक सेवक के नाते किसी व्यक्ति जो अपराध के लिए आरोपित या दोषसिद्ध या अभिरक्षा में रखे जाने के लिए विधिपूर्वक सुपुर्द किया गया हो उसको परिरोध में रखने के लिए वैध रूप से आबद्ध होया उपेक्षा से उस व्यक्ति का परिरोध में से निकल भागना सहन करेगा। तो उसको कारावास की सजा दिया जा सकता है जिसको 2 वर्ष तक बढ़ा सकते है। या उसको आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
इसमे निम्न अपराध को शामिल किया जाता है।
लोक सेवक द्वारा उपेक्षा से परिरोध या अभिरक्षा में से निकल भागना सहन करना आता है इसके लिए दो वर्ष सादा कारावास या आर्थिक दंड या दोनों से दंडित किया जा सकता है। यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और किसी भी न्यायाधीश द्वारा विचारणीय है।
धारा 224 –
इस धारा के अनुसार किसी व्यक्ति द्वारा विधि के अनुसार अपने पकड़े जाने में प्रतिरोध या बाधा डालने को बताया गया है।
किसी व्यक्ति द्वारा विधि के अनुसार अपने पकड़े जाने में प्रतिरोध या बाधा–
इस धारा के अनुसार यदि कोई किसी ऐसे अपराध के लिए जिसका उस पर आरोप हो या फिर जिसके लिए वह दोषसिद्ध किया गया हो। और उसको विधि के अनुसार अपने पकड़े जाने में साशय प्रतिरोध करेगा या अवैध बाधा डालेगा। या फिर किसी अभिरक्षा से जिसमें वह किसी ऐसे अपराध के लिए विधिपूर्वक निरुद्ध हो, या निकल भागेगा या फिर निकल भागने का प्रयत्न करता है तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो या जुर्माने से या दोनों से दंडित किया जाएगा ।यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी न्यायाधीश द्वारा विचारणीय है।और यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।
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