भारतीय दंड संहिता धारा 269 से 274 तक का विस्तृत अध्ययन

जैसा कि आप सभी को ज्ञात होगा इससे पहले की पोस्ट मे भारतीय दंड संहिता धारा 268 तक का विस्तृत अध्ययन करा चुके है।  यदि आपने यह धाराएं नहीं पढ़ी तो आप उनको पढ़ लीजिये जिससे आपको आगे की धाराएं समझने में आसानी होगी।

धारा 269-

इस धारा के अनुसार जो कोई विधिविरुद्ध रूप से या उपेक्षा से ऐसा कोई ऐसा कार्य करेगा।  जिससे वह जानता या विश्वास करने का कारण रखता हो कि ऐसा कार्य जीवन के लिए संकटपूर्ण किसी रोग का संक्रमण फैलना संभाव्य हो जाएगा तो  वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जो की  छह माह तक की हो सकेगी, या जुर्माने से या  फिर दोनों से दंडित किया जाएगा।

 इस धारा का उद्देश्य किसी गैरकानूनी या लापरवाही कार्य करने वाले व्यक्ति को दंडित करना है।  जिससे किसी प्रकार की  खतरनाक बीमारी फैल सकती है।  जिसमें उस व्यक्ति को छह महीने तक की कैद या जुर्माना हो सकता है। यह एक प्रकार का  संज्ञेय अपराध है। जिसका अर्थ यह होता है  कि पुलिस आरोपी को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है।  लेकिन यह एक जमानती अपराध है।

कई राज्यों ने स्वाइन फ्लू, बर्ड फ्लू, कोरोनावायरस इत्यादि जैसे जानलेवा प्रभावों के प्रकोप की जांच के लिए कई बार कई मजबूत उपायों की घोषणा की गयी है।इसी को ध्यान मे रखते हुए  केंद्र सरकार ने उन्हें सख्ती से लागू करने और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ “कानूनी कार्रवाई” करने के लिए कहा है। इस समय देश के कई हिस्सों में कई ऐसे  मामलों में भी आदेश भी दिए हैं।  जो लोगों की सभा को प्रतिबंधित करते हैं। भारतीय दंड संहिता की धारा 269 के अनुसार  ऐसा प्रावधान किया गया है।  जिसके लिए एक लोक सेवक द्वारा पारित इन आदेशों की आज्ञाकारिता की आवश्यकता होती है, जब कोई घातक बीमारी लोगों पर अपना प्रभाव डालती है।  तो यह धारा उस समय उस आदेश की अवज्ञा के लिए सजा निर्धारित करता है।

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धारा 270-

इस धारा के अनुसार जो कोई परिद्वेष से ऐसा कोई कार्य करेगा जिससे की वह जानता या विश्वास करने का कारण रखता हो कि उसके जीवन के लिए संकटपूर्ण किसी रोक का संक्रमण फैलना संभाव्य है। तथा  इसके लिए उसके 2 वर्ष का कारावास जो की दोनों मे से कोई एक हो सकता है या जुर्माना या फिर दोनों हो सकता है।

 यह एक “घातक कार्य” है।  जो बीमारी के संक्रमण को जीवन के लिए खतरनाक बनाता है।  और इसके लिए उसको 2 वर्ष का कारावास जो की दोनों मे से कोई एक हो सकता है या जुर्माना या फिर दोनों हो सकता है।  यह एक संज्ञेय और जमानती अपराध भी है।

इसका एक उदाहरण   बॉलीवुड गायिका कनिका कपूर के खिलाफ एफ. आई. आर. दर्ज की गई, उन्होंने लंदन से लौटने के बाद पार्टियों में भाग लिया और कोरोनावायरस के लिए सकारात्मक परीक्षण किया गया  इन दो प्रावधानों का उल्लेख किया।

धारा 271-

इस धारा के अनुसार  क्वारंटाइन के नियम की अवज्ञा से सम्बंधित प्रावधान है। इस प्रावधान के अनुसार  जो जब लॉकडाउन ऑपरेशन में हो तब लागू हो सकता है। आमतौर पर क्वारंटाइन का तात्पर्य, एक अवधि, या अलगाव के एक स्थान से है।  जिसमें लोग या जानवर, जो कहीं और से आए हैं, या संक्रामक रोग के संपर्क में आए हैं।  उन्हें रखा जाता है।और उनका ध्यान रखा जाता है।

 यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर नियम की अवज्ञा करना है  इसके अनुसार कुछ स्थानों पर , जहां कोई इन्फेक्शस फैला है। उसे अन्य स्थानों से अलग किया जाता है, तो ऐसा व्यक्ति जो  इस प्रावधान के तहत दोषी ठहराया जा सकता है।इसके लिए उसको   छः माह तक कारावास अथवा एक हजार रुपये तक जुर्माना अथवा दोनों  हो सकता है।

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धारा 272-

इस धारा के अनुसार जब  कोई किसी भी खाने या पीने की वस्तु को इस आशय से कि वह ऐसी वस्तु के खाद्य या पेय के रूप में बेचता है  या यह संभाव्य जानते हुए कि वह खाद्य व पेय के रूप में बेची जाएगी। या फिर  ऐसे अपमिश्रित करेगा कि ऐसी वस्तु खाद्य व पेय के रूप में अस्वास्थ्यकर बन जाए तो उसे
इस धारा के अनुसार इसके लिए उसको   छः माह तक कारावास अथवा एक हजार रुपये तक जुर्माना अथवा दोनों  हो सकता है।

यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।तथा यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

धारा 273-

जो कोई किसी ऐसी वस्तु को जो वस्तु ऐसे अपायकर कर दी गई हो।  या हो गई हो या खाने पीने के लिए अनुपयुक्त दशा में हो तो यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह खाद्य या पेय के रूप में अपायकर है। तथा  खाद्य या पेय के रूप में बेचेगा।  या बेचने की प्रस्थापना करेगा या बेचने के लिए अभिदर्शित करेगा।  तो  वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जो की छः माह तक कारावास अथवा एक हजार रुपये तक जुर्माना अथवा दोनों  हो सकता है। यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।तथा यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

धारा 274 –

इस धारा के अनुसार औषधियों का अपमिश्रण को बताया गया है।
इसके अनुसार जो कोई किसी औषधि या भेषजीय निर्मिति में अपमिश्रण को इस आशय से कि या यह सम्भाव्य जानते हुए कि वह किसी औषधीय प्रयोजनों के लिए ऐसे बेची जाएगी या फिर उपयोग की जाएगी।  मानो उसमें ऐसा अपमिश्रण न हुआ हो या फिर  ऐसे प्रकार से करेगा कि उस औषधि या भेषजीय निर्मिति की प्रभावकारिता कम हो जाए या फिर उसकी  क्रिया बदल जाए या वह अपायकर हो जाए  तो  वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जो की छः माह तक कारावास अथवा एक हजार रुपये तक जुर्माना अथवा दोनों  हो सकता है। यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।तथा यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

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