भारतीय दंड संहिता धारा 284 से 291 तक का विस्तृत अध्ययन

जैसा कि आप सभी को ज्ञात होगा इससे पहले की पोस्ट मे भारतीय दंड संहिता धारा 283   तक का विस्तृत अध्ययन करा चुके है।  यदि आपने यह धाराएं नहीं पढ़ी तो आप उनको पढ़ लीजिये जिससे आपको आगे की धाराएं समझने में आसानी होगी।

धारा 284

इस धारा मे विकृतचित व्यक्ति को कार्य को बताया गया है । इसके अनुसार जो कार्य किसी ऐसे व्यक्ति के द्वारा किया जाता है  जो उसे करते समय मन की अस्वस्थता के कारण उस कार्य की प्रकृति को या यह कि जो कुछ वह कर रहा है वह दोषपूर्ण या विधि के प्रतिकूल है वह इसको जानने में असमर्थ होता है ।  वह अपराध नहीं है।

धारा 285

इस धारा के अनुसार अग्नि या ज्वलनशील पदार्थ के सम्बन्ध में उपेक्षापूर्ण आचरण को बताया गया है।इसके अनुसार  जो कोई अग्नि या किसी ज्वलनशील पदार्थ से कोई कार्य ऐसे किसी भी प्रकार के  उतावलेपन या उपेक्षा से करता है।  जिससे मानव जीवन संकटग्रस्त हो जाए या जिससे किसी अन्य व्यक्ति को चोट या क्षति कारित होने की संभावना प्रकट होता है।  अथवा अपने कब्जे में संग्रहीत अग्नि या किसी ज्वलनशील पदार्थ की ऐसी व्यवस्था करने का जो मानव जीवन को किसी अधिसम्भाव्य संकट से बचाने के लिए पर्याप्त होता है यह  जानते हुए या उपेक्षापूर्वक लोप करता है ।  तो उसे किसी एक समय  के लिए कारावास जिसे छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है। अथवा  एक हजार रुपए तक का आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा। यह एक जमानती संज्ञेय अपराध है । और  यह किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।   यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

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धारा 286

इस धारा के अनुसार विस्फोटक पदार्थ के बारे में उपेक्षापूर्ण आचरण  के बारे मे बताया गया है। जो कोई  व्यक्ति किसी विस्फोटक पदार्थ सेअथवा उसके द्वारा  कोई कार्य ऐसे उतावलेपन या उपेक्षा से किया गया है  जिससे मानव जीवन संकटापन्न हो जाए या जिससे किसी अन्य व्यक्ति को उपहति या क्षति कारित होने की संभावना होती है । अथवा वह  अपने कब्जे में की किसी विस्फोटक पदार्थ की ऐसी व्यवस्था करने का जैसी ऐसे पदार्थ से मानव जीवन को अधिसम्भाव्य संकट से बचाने के लिए पर्याप्त हो यह  जानते हुए या उपेक्षापूर्वक लोप करता है। तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि छह मास तक हो सकता है । या  फिर जुर्माने से जो की एक हजार रुपए तक का हो सकता है ।  या फिर दोनों से दण्डित किया जा सकता है।

धारा 287

इस धारा के अनुसार मशीनरी के सम्बन्ध में उपेक्षापूर्ण आचरण को बताया गया है। जो कोई किसी मशीनरी के द्वारा  कोई कार्य ऐसे उतावलेपन या उपेक्षा से करता है। जिससे मानव जीवन संकटापन्न हो जाए या फिर  जिससे किसी अन्य व्यक्ति को उपहति या क्षति कारित होने की संभावना होती है।

अथवा अपने कब्जे में की या अपनी देखरेख के अधीन  किसी भी मशीनरी की ऐसी व्यवस्था करने का जो ऐसी मशीन से मानव जीवन को किसी अधिसम्भाव्य संकट से बचाने के लिए पर्याप्त हो ऐसा  जानते हुए या उपेक्षापूर्वक लोप करता है। तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकती है  या फिर  जुर्माने से जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा या दोनों से दण्डित किया जाएगा ।

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धारा 288

इस धारा के अनुसार किसी निर्माण को गिराने या उसकी मरम्मत करने के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण को बताया गया है। जो कोई किसी निर्माण को गिराने या उसकी मरम्मत करने में या फिर उस निर्माण की ऐसी व्यवस्था करने के लिए  जो उस निर्माण के या उसके किसी भाग के गिरने से मानव जीवन को किसी अधिसम्भाव्य संकट से बचाने के लिए पर्याप्त हो उसको यह  जानते हुए या उपेक्षापूर्वक लोप करेगा तो  वह दोनों में से किसी भांति से कारावास से जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकती है  या जुर्माने से जो कि एक हजार रुपए तक का हो सकेगा या फिर दोनों से  दण्डित किया जाएगा ।

धारा 289

इस धारा के अनुसार  जीव जंतु के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण को बताया गया है। जिसके अनुसार जो कोई व्यक्ति अपने कब्जे में किसी जीव जंतु के संबंध में ऐसी व्यवस्था करता है जो ऐसे जीव जंतु से मानव जीवन को किसी अधिसम्भाव्य संकट या घोर क्षति के किसी अधिसम्भाव्य संकट से बचाने के लिए पर्याप्त हो। उसको यह  जानते हुए या उपेक्षापूर्वक लोप करेगा तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसको की  छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है।  एक हजार रुपए तक का आर्थिक दण्ड या  फिर दोनों से दण्डित किया जाएगा।

धारा 290

इस धारा के अनुसार जो कोई किसी ऐसे मामले में जिसमे किसी भी प्रकार से  लोक बाधा उत्पन्न करेगा जो इस संहिता द्वारा अन्यथा दण्डनीय नहीं है।  तो उसे दो सौ रुपए तक के आर्थिक दण्ड से दण्डित किया जाएगा।

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धारा 291

इस धारा के अनुसार न्यूसेन्स बन्द करने के व्यादेश के पश्चात् उसका चालू रखना आदि को बताया गया है। जो कोई किसी लोक सेवक के द्वारा जिसको किसी न्यूसेन्स की पुनरावृत्ति न करने या उसे चालू न रखने के लिए व्यादेश प्रचलित करने का प्राधिकार हो। उसको  ऐसे व्यादिष्ट किए जाने पर किसी लोक न्यूसेन्स की पुनरावृत्ति करेगा, या उसे चालू रखेगा एक अवधि के लिए कारावास जिसे की  छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है।  उसको एक हजार रुपए तक का आर्थिक दण्ड या  फिर  साधारण कारावास और आर्थिक दंड दोनों से दण्डित किया जाएगा।

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