भारतीय दंड संहिता धारा 41 से 52 तक का विस्तृत अध्ययन

जैसा कि आप सभी को ज्ञात होगा इससे पहले की पोस्ट मे हमने  भारतीय दंड संहिता धारा 41 से 50  तक का विस्तृत अध्ययन करा चुके है यदि आपने यह धराये नही पढ़ी है तो पहले आप उनको पढ़ ली जिये जिससे आपको आगे की धराये समझने मे आसानी होगी।

धारा 41

बिना वारंट के गिरफ्तारी

इसमे बताया गया है की बिना वारंट के पुलिस कब गिरफ्तार कर सकता है।

जब ऐसा व्यक्ति जो पुलिस अधिकारी की मौजूदगी मे संक्ष्हेय अपराध करता है। पुलिस अधिकारी से मतलब पुलिस के उच्च अधिकारी से है या पुलिस कर्मचारी से है।

पुलिस को किसी परिवाद, सूचना या संदेह के माध्यम से यह पता चल जाए कि इस व्यक्ति ने अपराध किया है।

किसी व्यक्ति को किसी साक्ष्य को समाप्त करने या साक्ष्य से छेड़छाड़ करने पर उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकते है।

यदि किसी व्यक्ति के पास चोरी का समान पुलिस द्वारा बरामद होता है तो भी वह व्यक्ति गिरफ्तार हो सकता है।

यदि किसी व्यक्ति को पुलिस के कार्य करने मे बाधक समझा जाता है तो भी वह व्यक्ति गिरफ्तार हो सकता है।

वह व्यक्ति जो फरार होने की कोसिस करता है।

41 क

यह बताता है की जांच के दौरान व्यक्ति को पुलिस के कहे अनुसार हाजिर होना है तो ऐसे आदेश का पालन करना होता है।

41 ख

पुलिस अधिकारी को व्यक्ति को गिरफ्तार करने से पहले अपने कर्तव्य का पालन करना होता है। पुलिस को व्यक्ति को अपना नाम पता आदि स्पष्ट रूप से बताना होता है।

गिरफ्तार करते समय व्यक्ति के परिवार को सूचना देना होता है।

गाव या उस मुहल्ले के नामी व्यक्ति का हस्ताक्षर लेना होता है जिसकी उपस्थित मे व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है।

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41 ग

राज्य सरकार सभी जिले मे नियंत्रण कक्ष स्थापित करेगी।

राज्य स्तर पर पुलिस कक्ष की स्थापना की जाएगी।

राज्य सरकार कक्ष के बाहर लिखे पट्टे पर गिरफ्तार व्यक्ति का नाम लिखेगी तथा पुलिस अधीक्षक का भी नाम उस पर लिखा होगा।

राज्य स्तर पर गिरफ्तार व्यक्ति का एक ब्योरा तैयार किया जाएगा।

41 घ

गिरफ्तार व्यक्ति को पूछ ताछ के लिए उसके पसंद के अधिवक्ता से मिलने दिया जाएगा।

24 घंटे के अंदर गिरफ्तार व्यक्ति को मजिस्ट्रेट  मे हाज़िर करना होता है।

गिरफ्तार व्यक्ति अपने लिए कोई अधिवक्ता कर सकता है।

धारा 42

किसी व्यक्ति को अपना नाम और पता नही बताने पर गिरफ्तार –

किसी व्यक्ति पर संदेह होने पर उस व्यक्ति को कोई भी पुलिस पूछ ताछ कर सकता है। व्यक्ति को अपना नाम और पता बताना आवश्यक होता है और यदि कोई व्यक्ति पुलिस को नाम और पता नही बताती है तो उसको गिरफ्तार किया जा सकता है।

कोई व्यक्ति यदि पुलिस अधिकारी के सामने अपना नाम और पता नही बताता है तो उसको तुरंत गिरफ्तार कर सकता है और सही नाम और पता ज्ञात कर उसको बांध पत्र पर छोड़ सकता है या फिर उसको 24 घंटे के अंदर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करेगा।

धारा 43

यह अवैध शब्द को परिभाषित करता है। अवैध शब्द उस बात पर लागू होता है जो अपराध हो या विधि के द्वारा रोका गया हो और जो सिविल वाद प्रस्तुत करता हो। जो सिविल कार्यवाही के लिए आधार उत्पन्न करती हो तो वह अवैध होता है। यदि किसी व्यक्ति को कोई विधि कार्य करना था और नही किया तो वह भी अवैध होता है।

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धारा 44

यह क्षति को बताती है क्षति यानि हानि का घोटक है जो किसी व्यक्ति के शरीर ,मन , और ख्याति और संपत्ति को अवैध रूप से हानि पहुचायी गयी हो तो यह क्षति कहलाती है।

 धारा 45

भारतीय दंड संहिता मे जीवन को मनुष्य के जीवन से संबन्धित है अर्थात जीवन शब्द जहा भी आया है वह मानव जीवन से संबन्धित है। न की जीव जन्तु या अन्य से है।

धारा 46

मृत्यु

भारतीय दंड संहिता मे मृत्यु को मनुष्य के मृत्यु से संबन्धित है अर्थात मृत्यु शब्द जहा भी आया है वह मानव मृत्यु से संबन्धित है। न की जीव जन्तु या अन्य से है।

धारा 47

इसमे जीव जन्तु को बताता है। इसमे मानव जीव को छोड़ कर सभी जीव जन्तु मे आते है। यह मानव से भिन्न है। और जिसमे जान होती है।

धारा 48

यह जलयान को बताती है।समान्य भाषा मे तो हम यह जानते है की जलयान को पानी का जहाज कहते है परंतु विधि मे जलयान शब्द उस चीज का घोटक है जो पानी मे चलने के योग्य बनाई गयी है जो मानव या समान को लाने और ले जाने के लिए प्रयोग होती है।

धारा 49

यह वर्ष और माष शब्द को बताती है यह बताती है की जहा जहा माष और वर्ष आता है यह ब्रिटिस कलेंडर के अनुसार गणना की जाती है।

धारा 50

यह धारा शब्द को परिभाषित करती है। धारा शब्द किसी अन्याय शब्द का घोटक है जो किसी पैराग्राफ के सुरू के पॉइंट या संख्या को बताती है।

धारा 51

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शपथ विधि द्वारा प्रतिस्थापित ज्ञान और घोषणा जो लोक सेवक के सामने लिया जाये या न्यायालय के समच्छ सबूत के रूप मे प्रयोग किया जाने वाला या विधि द्वारा आपेछित प्रयुक्त हो तो शपथ कहलाता है। इसका प्रयोग कसम के तौर पर करते है।

शपथ शब्द हिन्दू व्यक्तियों के द्वारा गीता और मुस्लिम के द्वारा कुरान और ईसाई बाइबिल का शपथ लेता है।

धारा 52

सदभाव पूर्वक शब्द को बताया गया है यह समान्य भाषा मे अच्छी बात से लिया गया है। विधि के अनुसार कोई बात तब तक सदभाव पूर्वक नही होगी जब तक उसमे समयक सतर्कता और ध्यान न हो। यदि यह दोनों चीज किसी भाषा मे नही है तो यह सदभाव पूर्वक नही होगा।

उदाहरण –

यदि किसी का ऑपरेशन चाकू से कर दिया गया और उसको खूब खून बह गया जिससे उसकी मृतु हो गयी यह कहा जा सकता है की ऑपरेशन सदभाव पूर्वक नही किया गया ।

सदभाव पूर्वक शब्द समान्य भाषा से भिन्न है।

धारा 52 क

यह सह आश्रय से संबन्धित है। यदि किसी व्यक्ति को  आश्रय दिया गया है तो यह इसमे आता है।

 धारा 157 और धारा 130 मे जहा सह आश्रय जो पति और पत्नी को सह आश्रय को छोड़कर बाकी सब मे सह आश्रय से मतलब किसी को पानी, आश्रय , भोजन ,गोला बारूद धन वस्त्र या परिवहन का साधन देना चाहे वह इस प्रकार हो या नही व्यक्ति की सहायता मे पकड़े जाने पर आता है यह सह आश्रय मे आता है। 

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