आईआरडीए (बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण) क्या होता है। इसका विस्तृत अध्ययन

बीमा उद्योग का विनियमन के लिए आईआरडीए  का निर्माण हुआ।  यह  एक स्वायत्त निकाय है जो कि आई.आर.डी.ए. (बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण)अधिनियम 1999 के अंतर्गत  स्थापित किया गया है। जिसका उद्देश्य पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा करना तथा बीमा उद्योग को विनियमन एवं विकास करनाहै।

आईआरडीएआई की स्थापना

भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) एक स्वायत्त निकाय है । और इसकी स्थापना आईआरडीए अधिनियम, 1999 के अंतर्गत की गई थी।
इसका उद्देश्य  पॉलिसीधारकों के हितों की सुरक्षा करना और बीमा उद्योग तथा इससे संबंधित या इसके लिए आकस्मिक मामलों को का विनियमन, परावर्तन तथा क्रमिक वृद्धि को सुनिश्चित करना है।

इसकी शुरुआत 1991 मे भारत सरकार ने आर्थिक सुधार कार्यक्रम तथा वित्तीय क्षेत्र सुधार हेतु शुरू किया गया । तथा 1993 मे इसमे  और सुधार करने के लिए   आर.एन. मल्होत्रा (सेवानिवृत्त गवर्नर, भारतीय रिजर्व बैंक) की अध्यक्षता में समिति गठित की गई।जो की 1994 मे  मल्होत्रा समिति ने बीमा क्षेत्र का अध्ययन करने तथा पक्षकारों  की सुनवाई करने के बाद निश्चित सुधारों की सिफारिश को मंजूरी दे दी । और जिसकी वजह से बीमा कंपनियों मे कुछ सुधार हुआ ।आईआरडीए हैदराबाद में स्थित है । और यह  भारत सरकार द्वारा गठित किया था। भारतीय बीमा उद्योग की कुछ आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, आईआरडीए 2002 में संशोधन किया गया था।  जो इस प्रकार है।

बीमा कंपनियों को प्रवर्तित करने के लिए निजी क्षेत्र की कंपनियों को अनुमति दी जानी चाहिए

विदेशी प्रवर्तकों को  अनुमति दी जानी चाहिए

सरकार को अपनी विनियामक शक्तियाँ, एक स्वतंत्र विनियामक निकाय को सौंपनी चाहिए जो कि संसद के प्रति जवाबदेह हो।

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पॉलिसीधारकों के आर्थिक और वित्तीय सुधारों बढ़ावा देने

बीमा उद्योग की सुधारात्मक वृद्धि सुनिश्चित करने

पॉलिसीधारकों के वास्तविक दावों से  शीघ्र निपटान सुनिश्चित करना तथा उनके  दावों के निपटान की प्रक्रिया में गलत व्यवहार रोकना।

भारतीय बीमा उद्योग को आईआरडीए के नियम और शर्तों के द्वारा चलाया जाये। भारतीय उद्योग में बीमा कंपनियों की गुणवत्ता योग्यता और निष्पक्ष व्यवहार की निगरानी और कार्यान्वयन  पर इसका नियमन हो।

IRDA अधिनियम में केंद्र सरकार के  द्वारा CoI की नियुक्ति के लिए भी प्रावधान किया गया है। इसके अनुसार  जब विनियामक प्राधिकरण को अधिग्रहित किया गया है। चुकता इक्विटी पूंजी की न्यूनतम राशि इसमे जीवन बीमा के साथ-साथ सामान्य बीमा के मामले में 100 करोड़है।  और रु। री-इंश्योरेंस के मामले में 200 करोड़ है।

आईआरडीएआई के कार्य और कर्तव्य-
आईआरडीएआई के कार्य और कर्तव्य इस प्रकार है।

यह बीमा कंपनियों का पंजीयन तथा विनियमन का कार्य करती है।
पॉलिसीधारकों के हितों की सुरक्षा करना इसका मुख्य कार्य है।
बीमा मध्यस्थों की लाइसेंसिंग तथा मानदंड निर्धारित करना इसका कार्य है।
बीमा में व्यावसायिक संगठनों को बढ़ावा देती है।
गैर-जीवन बीमा के आवरण की प्रीमियम दरों तथा शर्तों का विनियमन एवं निगरानी करना इसका कार्य है।
बीमा कंपनियों के वित्तीय प्रतिवेदन मानदंडों को विनिर्दिष्ट करना और उनका विनिमय करना इसका कार्य है।
बीमा कंपनियों द्वारा पॉलिसीधारकों की निधियों के निवेश विनियमन करना इसके कार्य मे शामिल है।
बीमा कंपनियों द्वारा ऋण शोधन धनराशि (सॉल्वेंसी मार्जिन) का रखरखाव सुनिश्चित करना भी इसका कार्य है।
ग्रामीण क्षेत्रों में तथा समाज के भेद्य (असुरक्षित) वर्गों का बीमा आवरण सुनिश्चित करना इसका कार्य है।

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आईआरडीए भारत में निजी बीमा कंपनियों को  भी विनियमित करती है। उदाहरण –

स्टार स्वास्थ्य बीमा

भारतीय जीवन बीमा निगम

रेलिगेयर स्वास्थ्य बीमा

निर्यात क्रेडिट गारंटी निगम लिमिटेड

श्रीराम जनरल इंश्योरेंस कंपनी लेफ्टिनेंट

फ्यूचर जनरली इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड

एचडीएफसी-चब जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड

रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड।

बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड

टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड

इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड

अपोलो म्यूनिख बीमा कंपनी लिमिटेड

चोलमंडलम जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड

भारती एक्सा जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड

रहेजा क्यूबीई जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड

आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड।
आदि है।

आईआरडीए संगठन –

आईआरडीए  दस लोगों का संगठन है । जो की मिलकर कार्य करता है।
इसमे बीमा कंपनियों द्वारा दुर्घटना के मामलों में बीमाकृत व्यक्तियों की क्षति पूर्ति का आक्ष्वासन दिया जाता हैं। बीमा की गतिविधियों पर निगरानी रखते हुए सभी प्रकार की समस्याओं का निवारण करने के लिए इसका गठन हुआ है।  तथा  बीमा क्षेत्र में आने वाली समस्याओं को देखते हुए भारत सरकार ने निगरानी और समाधान के लिए आईआरडीए नाम की एक एजेंसी की स्थापना की है। और इस क्षेत्र के विकास की देखरेख की भी ज़िम्मेदारी इसी एजेंसी को दी है। इसमे निम्न व्यक्ति शामिल होते है।

1. अध्यक्ष और आईआरडीए के सदस्यों की नियुक्ति भारत सरकार द्वारा की जाती है।

2. एक अध्यक्ष होता है जिसका कार्यकाल पाँच वर्ष और उसके लिए अधिकतम आयु 60 वर्ष है।

3. चार अंशकालिक सदस्य होते हैं जो पाँच वर्ष से अधिक नही होते।

4. पाँच पूर्ण कालिक सदस्य इनका कार्यकाल पाँच वर्ष और अधिकतम आयु 62 वर्ष रखी गई है।

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भारत में IRDA के अंतर्गत निम्न  बीमा कंपनियां हैं?
एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, और देश में संचालित होने वाली 24 जीवन-बीमा कंपनियों सहित 28 सामान्य बीमा कंपनियां इसमे शामिल हैं।

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आईआरडीए की भूमिका-

आई आर डी ए IRDA  के द्वारा बीमा पॉलिसी धारकों के लिए  उनके हित की रक्षा करने  के लिए कई कदम उठाए गए है।

इसने अर्थव्यवस्था के विकास में तेजी लाने के लिए दीर्घकालिक धन प्रदान करने के लिए और बीमा उद्योग या क्षेत्र को व्यवस्थित करने के लिए कई कदम उठाए।

आई आर डी ए के द्वारा  अखंडता, (Integrity) निष्पक्ष व्यवहार्यता (Fair feasibility) और उन लोगों की क्षमता के उच्च मानकों को निर्धारित किया  गया और उनको बढ़ावा दिया गया ।

आई आर डी ए IRDA  को सुनिश्चित करने के लिए की बीमा पॉलिसी धारक को बीमा कंपनियों के  द्वारा प्रदान किए गए उत्पादों और सेवाओं के बारे में सटीक स्पष्ट और सही जानकारी प्राप्त करता है और वह अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के बारे में ग्राहकों को जागरूक करता है।

वास्तविक दावों को तुरंत निपटाने और यह सुनिश्चित करने कि बीमा धोखाधड़ी और घोटालों को रोकने के लिए और ऑपरेटिव शिकायत निवारण करने के लिए कार्य  करता रहता है। 

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