अपकृत्य विधि के अनुसार छल क्या होता है?

जैसा कि आप सभी को ज्ञात होगा इससे पहले की पोस्ट मे भी अपकृत्य संबन्धित कई पोस्ट का विस्तृत अध्ययन करा चुके है यदि आपने यह नही पढ़ी है तो पहले आप उनको पढ़ लीजिये जिससे आपको आगे की पोस्ट समझने मे आसानी होगी।

छल को धोखा या बहाना भी कहा जाता है। वह काम जो किसी को धोखे में डाल कर कोई स्वार्थ साधने के लिए किया जाए वह छल कहा जाता है।
छल को इंग्लिश मे cheating भी कहा जाता है।

यह भारतीय दंड संहिता की धारा 415 से 420 में परिभाषित किया गया है।

धारा 415

इसमे बताया गया है की जो किसी व्यक्ति से प्रवंचना कर उस व्यक्ति को जिसे इस प्रकार प्रवांचना किया गया है | कपट पूर्ण या बेईमानी से उत्तप्रेरित करता है। कि वह यह संपत्ति किसी व्यक्ति को सौप दें | या फिर यह संपत्ति किसी को दे दे कि कोई व्यक्ति किसी संपत्ति को रख रखे या फिर यह आशंका की जाती है की उस व्यक्ति को जिसे इस प्रकार प्रभावित किया गया है। और प्रेरित करता है कि वह ऐसा कोई कार्य करें जिसको करने से या करने का लोप करें |

यदि वह व्यक्ति कार्य को न करता और न करने का लोप न करता और जिस कार्य का लोप उस व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक, ख्याति संबंधी या संबंधी या संपत्ति नुकसान या अपहानिकारक होती है। तो वह कार्य होने संभव है। तो वह छल कहलाता है।

इसको हम निम्न उदाहरण से समझाते है।
राम एक वस्तु पर कोर्ट कृत चिन्ह बनाकर श्याम से शासन प्रवचना करके उसे जाम को विश्वास कर आता है| कि वह वस्तु किसी प्रसिद्ध निर्माता द्वारा बनाए गए हैं, और इस प्रकार उस वस्तु का क्रय करने और उसका मूल्य चुकाने के लिए जाम के बेईमानी से उत्प्रेरित करता है। तो यह राम छल( cheating) करता है |

See Also  अपकृत्य विधि के अनुसार राज्य का प्रतिनिधिक दायित्व Liability of State in tort

राम, श्याम को एक संपदा बेचता है। और उसको हस्तांतरित करता है। यह जानते हुए कि ऐसे विक्रय के परिणाम स्वरूप उस संपत्ति पर उसका कोई अधिकार नहीं है। शाम ख को किए गए पूर्व विक्रय और हस्तांतरण के तथ्य को प्रकट ना करते हुए उसे ज्ञान के हाथ बेच देता है| ज्ञान बंधक रख देता है और यम से विक्रय या बंधक धन प्राप्त कर लेता है। यह छल कहलाता है।

भारती साशय प्रवंचन करके शुभ को यह विश्वास दिलाता है, कि भारती ने शुभ के साथ की गई संविदा के अपने भाग का पालन कर दिया है। जबकि उसका पालन उसने नहीं किया है। और इसके कारण शुभ को बेईमानी के उत्प्रेरित करता है। कि वह धन देने का छल cheating करता है |
छल को इस प्रकार समझा जा सकता है।

किसी व्यक्ति को प्रबंधित किया जाए कि उस प्रवंचन द्वारा –

कि उस व्यक्ति को धोखा और बेईमानी के साथ
किसी व्यक्ति को कोई संपत्ति परिवर्तित करने या
किसी व्यक्ति को कोई संपत्ति पृथ्वी धारण करने हैं। तो संपत्ति देने के लिए उत्प्रेरित किया जाए या
साशय उस व्यक्ति को कोई ऐसा कार्य करने अथवा करने के लोग करने के लिए उत्प्रेरित किया जाए जिसको वह व्यक्ति यदि प्रबंध इतना किया जाता तो ना करता या करने में लोप करता साथ ही साथ ऐसा करने या करने में लोप करने के कारण उस व्यक्ति के शरीर मस्तिष्क ख्याति अथवा संपत्ति को क्षति अथवा हानि भी हुई हो |

धारा 416
के अनुसार यदि कोई व्यक्ति प्रतिरूपण द्वारा छल करता है। जैसे जब वह यह अपदेश करके कि वह कोई अन्य व्यक्ति है। या एक व्यक्ति को किसी अन्य व्यक्ति के रूप में जानते हुए प्रतिस्थापित करना या यह व्यपदिष्ट करके कि वह या कोई अन्य व्यक्ति जो कोई ऐसा व्यक्ति है। जो वस्तुतः उससे या अन्य व्यक्ति से भिन्न है। वह छल करता है ।

See Also  आपराधिक प्रक्रिया संहिता (dand prakriya sanhita )की कानूनी धाराएं। crpc all section

स्पष्टीकरण
ऐसा माना जाता है की यह अपराध हो जाता है चाहे वह व्यक्ति जिसका प्रतिरूपण किया गया है, वास्तविक व्यक्ति हो या काल्पनिक ।

धारा 417

इस धारा मे छल से होने वाले दंड को बताया गया है। इसके अनुसार जो भी कोई छल करेगा तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा होती है जो की एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है,। और आर्थिक दण्ड या कारावास दोनों से दण्डित किया जा सकता है।

यह एक जमानतीतथा गैर-संज्ञेय अपराध है। और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

धारा 418

भारतीय दंड संहिता की धारा 418 के अनुसार यह बताया गया है की जो कोई इस ज्ञान के साथ छल करेगा कि यह सम्भाव्य है। कि वह तद्द्वारा उस व्यक्ति को सदोष हानि पहुंचाए जिसका हित उस संव्यवहार में जिससे वह छल संबंधित है। और उसको संरक्षित रखने के लिए वह या तो विधि द्वारा या वैध संविदा द्वारा आबद्ध था, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी । और आर्थिक दण्ड या कारावास दोनों से दण्डित किया जा सकता है।

धारा 419

इसके अनुसार यदि कोई व्यक्ति प्रतिरूपण द्वारा छल करता है। तब यह कहा जाता है। जब वह यह जान करके कि वह कोई अन्य व्यक्ति है। या एक व्यक्ति को किसी अन्य व्यक्ति के रूप में जानते हुए प्रतिस्थापित करके कि वहकोई दूसरा व्यक्ति है या फिर कोई ऐसा व्यक्ति है जो उसी प्रकार उससे या अन्य व्यक्ति से अलग है। तो यह छल कहा जा सकता है।

See Also  बिना क्षति के विधिक अधिकार का अति उल्लंघन

यहाँ यह भी जानना आवश्यक है कि यह अपराध हुआ माना जायेगा चाहे वह व्यक्ति जिसका प्रतिरूपण किया गया है वह वास्तविक व्यक्ति हो या फिर काल्पनिक।

वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी । और आर्थिक दण्ड या कारावास दोनों से दण्डित किया जा सकता है।

धारा 420

इस धारा के अनुसार जो कोई भी किसी व्यक्ति को धोखा दे या फिर बेईमानी से किसी भी व्यक्ति को कोई भी संपत्ति दे या किसी बहुमूल्य वस्तु या उसके एक हिस्से या कोई भी हस्ताक्षरित या मुहरबंद दस्तावेज़ जो एक बहुमूल्य वस्तु में परिवर्तित होने में सक्षम है। उसमे यदि कोई परिवर्तन करने या बनाने या नष्ट करने के लिए प्रेरित करता है वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी । और आर्थिक दण्ड या कारावास दोनों से दण्डित किया जा सकता है।

यदि आपको इन को समझने मे कोई परेशानी आ रही है। या फिर यदि आप इससे संबन्धित कोई सुझाव या जानकारी देना चाहते है।या आप इसमे कुछ जोड़ना चाहते है। तो कृपया हमे कमेंट बॉक्स मे जाकर अपने सुझाव दे सकते है।


हमारी Hindi law notes classes के नाम से video भी अपलोड हो चुकी है तो आप वहा से भी जानकारी ले सकते है। कृपया हमे कमेंट बॉक्स मे जाकर अपने सुझाव दे सकते है।और अगर आपको किसी अन्य पोस्ट के बारे मे जानकारी चाहिए तो आप उससे संबन्धित जानकारी भी ले सकते है।

Leave a Comment