अपकृत्य विधि के अनुसार उपताप क्या होता है?

जैसा कि आप सभी को ज्ञात होगा इससे पहले की पोस्ट मे अप्कृत्य विधि संबन्धित कई पोस्ट का विस्तृत अध्ययन करा चुके है यदि आपने यह नही पढ़ी है तो पहले आप उनको पढ़ लीजिये जिससे आपको आगे की पोस्ट समझने मे आसानी होगी।

उपताप का अर्थ –

वैसे तो उपताप का अर्थ गर्म करना ,भाप से संबन्धित होता है परंतु विधि के अनुसार सार्वजनिक या लोक बाधा से है जिसके अनुसार लोक बाधा वह अवैध अपकृत्य है। जिससे जन-साधारण को सार्वजनिक रूप से कोई भी हानि,संकट या मानसिक अशांति उत्पन्न होती है। इसमें वे अपकृत्य आते हैं जो सार्वजनिक अधिकार से संबन्धित होते है। जैसे स्वास्थ्य, सुरक्षा, जनसाधारण के सुख में बाधा उत्पन्न करते हैं।

Nuisance शब्द की उत्पत्ति फ्रेंच भाषा के nuir शब्द से हुई है। जिसका अर्थ उपहति करना या क्षुब्ध करना होता है। न्यूसेन्स की उत्पत्ति लैटिन शब्द ‘नोसेर’ से हुई है। इन दोनों ही शब्दों का अर्थ हानि पहुंचाना या नाराज करना है। उपताप अप्कृत्य संबन्धित कार्य न होकर यह एक दायित्व से संबन्धित होता है। यह विधि के द्वारा संपत्ति से संबन्धित है। यह संपत्ति के स्वामी को संपत्ति के सुख भोगने मे बाधा उत्पन्न करती है।

कुछ विधि शास्त्रियों ने इसको अपने शब्दों मे पिरोया है।

ब्लैक स्टोन के अनुसार-

“यदि किसी संपत्ति पर कब्जा करने वाला कोई व्यक्ति को आघात पहुंचा ताकि उसके उपभोग में अवरोध उत्पन्न हो। और किसी अन्य द्वारा संपत्ति या अधिकार का गलत ढंग से प्रयोग किया जाए। बाधा असावधानी के कारण भी उत्पन्न हो सकती है। लेकिन बाधा को असावधानी कानून का अंग नहीं माना जाता।” .

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विनफील्ड के अनुसार-

“अपकृत्य का दायित्व जो है वह एक ऐसे कर्तव्य के उल्लंघन से उद्भूत होता है। जो की उपताप से भिन्न है। यह सामान्यतः दुष्कृति के अंतर्गत की गयी कार्यवाही में यह बचाव से संबन्धित नही है। सार्वजनिक उपताप अपराध है, व्यक्तिगत उपताप दीवानी दोष है। इसके अनुसार किसी भी व्यक्ति के संपत्ति मे होने वाले हस्तक्षेप से है।

पोलक के अनुसार-

“बिना विधिक औचित्य के किसी की भूमि पर या उससे संबंधित किसी अधिकार में हस्तक्षेप करना उपताप कहलाता है।”इसके अनुसार यह अवैधानिक रूप से किसी की संपत्ति का प्रयोग करने से संबन्धित है।

सामंड के अनुसार-

”जहां प्रतिवादी अपनी भूमि से या कहीं अन्यत्र से हानिकारक वस्तुओं को बिना किसी विधिक औचित्य के वादी की भूमि में जाने देता है। इनमें पानी, धुंआ, दुर्गध, गैस, शोरगुल, गर्मी, कंपन, बिजली, बीमारी के कीड़े, जानवर आदि सम्मिलित हैं।”
उपताप के आवश्यक तत्व

उपताप के निम्नलिखित आवश्यक तत्व हैं –

  1. अनुचित हस्तक्षेप
  2. ऐसा हस्तक्षेप भूमि के उपयोग में होना चाहिए
  3. क्षति ।

उपताप के प्रकार –

लोक उपताप
निजी उपताप

लोक उपताप-

यह वह अवैध अपकृत्य है। जिससे जन-साधारण को सार्वजनिक रूप से कोई हानि,संकट या मानसिक अशांति उत्पन्न होती है। इसमें वे अपकृत्य आते हैं जो सार्वजनिक अधिकार जैसे स्वास्थ्य, सुरक्षा, जनसाधारण के सुख में बाधा में उपताप उत्पन्न करते हैं।

इसका उदाहरण इस प्रकार है ।
जैसे किसी व्यक्ति के द्वारा सार्वजनिक रास्ते को उपताप के द्वारा रोक देना या चलने के लायक न रखना जिससे उनकी सुरक्षा को खतरा पहुंचे। या शोर करना या फिर बुरी लगने वाली आवाज पैदा करना। वायुमंडल को दूषित करने के लिए विषैली गैस का प्रयोग करना। यह सभी अपकृत्य सार्वजनिक बाधा के अंतर्गत आ जाते हैं।

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सामंड के अनुसार –

“उपताप एक ऐसा अवैधानिक कृत्य है जिसके करने या न करने के कारण किसी को असुविधा होती है या किसी की सुरक्षा को विपदा उत्पन्न होती है।“

अंडरहिल के अनुसार-

“सार्वजनिक उपताप एक ऐसा अवैध कृत्य है। जिसके करने या न करने के कारण किसी को असुविधा होती है। अथवा किसी की सुरक्षा को विपदा उत्पन्न होती है। जिसके कारण किसी के आराम में बाधा पहुंचती है। या जिससे किसी का जीवन खतरे में पड़ता है। इसमे सार्वजनिक उपताप के लिए यह अनिवार्य नहीं है कि वे निश्चित सार्वजनिक अधिकारों का हस्तक्षेप किये जाने से ही उत्पन्न हों बल्कि वे सभीकार्य जो हमारे स्वास्थ्य, सुरक्षा या हमारी सुविधा में किसी प्रकार का हस्तक्षेप करते रहते है। वह सार्वजनिक उपके अंतर्गत आते हैं।

निजी उपताप –

जब कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति का उपयोग ऐसे करता है जिससे किसी अन्य की संपत्ति को क्षति पहुंचती है। तो ऐसी क्षति को हम निजी उपताप कहेंगे। अर्थात यह एक ऐसा कार्य अथवा चूक है जिसके द्वारा किसी संपत्ति के स्वामी अथवा अधिकारी के स्वास्थ्य, सुविधा तथा शक्ति में उपताप पड़ती है अथवा उसकी संपत्ति को प्रत्यक्ष क्षति पहुंचती है ।
निजी उपताप में प्रकाश तथा वायु में रुकावट,बुरी गैस,शोरगुल, जल, धूल (गंदगी), जीवाणु का बाहर निकलना सम्मिलित है।

उदाहरण-

तेदर बनाम गार्सटन में न्यायालय द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया है कि
“यदि कोई चीज सड़क पर डाल दी जाती है। जो कि मार्ग पर चलने वालों के लिए अवरोध उत्पन्न करती है और उनसे दुर्घटना होती है तो इस प्रकार की बाधा अभियोज्य है।“

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सार्वजनिक उपताप और निजी उपताप मे अन्तर-

सार्वजनिक उपतापनिजी उपताप
सार्वजनिक उपताप सार्वजनिक अधिकारों को भंग करता है।यह मात्र निजी अधिकारों को भंग करता है।
सार्वजनिक उपताप सर्वसाधारण को क्षति पहुंचाकर उन सबको असुविधा पहुंचाता है।निजी उपताप मे व्यक्ति विशेष को ही असुविधा होती है।
सार्वजनिक उपताप का उपाय अपराध अभियोजन या निषेधाज्ञा द्वारा प्राप्त होते हैं।निजी उपताप मे प्रति उपाय न्यूनीकरण निषेधाज्ञा तथा क्षतिपूर्ति द्वारा प्राप्त होते हैं।
सार्वजनिक उपताप मे कोई एक व्यक्ति तब तक क्षतिपूर्ति का अधिकारी नहीं होता है। जब तक वह यह सिद्ध न कर दे कि सर्वसाधारण से अधिक उसे क्षति पहुंची है।यह व्यक्ति विशेष क्षतिपूर्ति एवं निषेधाज्ञा का अधिकारी है।
सार्वजनिक उपताप का मुकदमा सिर्फ एडवोकेट जनरल ही चला सकता है।निजी उपताप मे व्यक्तिगत बाधा में कोई भी व्यक्ति वाद चला सकता है।
सार्वजनिक उपताप मे चिरभोग के द्वारा कोई भी बाधा सही नहीं हो सकती।निजी उपताप मे चिरभोग द्वारा निजी बाधा सुखाधिकार का स्थान ले सकती है।
सार्वजनिक उपताप एक फौजदारी का मामला है।व्यक्तिगत उपताप दीवानी का मामला है।

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